Paakhi
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अहिल्या का “शीलहरण” सतयुग में हुआ
देवराज इन्द्र की ऐसी क्या लाचारी थी
सीता का “अपहरण” और फिर “अग्नि परीक्षा”
उस युग में भी “सभ्यता” नारी पर भारी थी
“सतयुग” की अहिल्या, “त्रेता” की सीता
“द्वापर” में देवकी पर कंस की पहरेदारी थी
देने को बढ़ावा इन प्रथाओ को “कलियुग” में
नारी को लगी शोषण की बीमारी थी
क्यूँ करें दोषारोपण पश्चिमी सभ्यता को
उन्हे कहाँ इतनी विविध जानकारी थी
“विष कन्या” हो, या वैशाली की “नगर वधू”
इतनी “गौरवमय” विरासत तो हमारी थी
खजुराहो के मध्यकालीन मंदिरों में उकेरा
संभोग की विभिन्न कलाओं की चित्रकारी थी
“भारतीय” वस्तुकला के उस प्राचीन दौर में भी
विश्व की सर्वश्रेष्ठ व मनोरंजक “वस्तु” नारी थी
सुलोचना वर्मा
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